Sunday, November 16, 2014

The Gaze


Here I am,
trying desperately
to see in you-
Gazing hard
hoping that
my gaze will turn
you transparent
and i shall finally
get a look into
that opaque inside
of yours.

After trying
seconds turn
in hours and
hours in days
which lead to
weeks and months
that have now
turned in years
and i finally
have attained
comprehension of
the fact that
I and you
live in parallel
universes.
In mine
we're one already
and in yours,
we're acquainted
to each other.

~~Fatte

Saturday, September 27, 2014

भौकाल

यद्यपि हिंदी व्याकरण में तीन काल होते हैं- भूत काल, वर्तमान काल एवं भविष्य काल किन्तु यू पी में एक काल और होता है- भौकाल।

तो जहाँ दुनिया का हर काम पहले तीनो कालों में होते हैं, हम अपने कार्य सम्पन्न करने के लिए भौकाल का सहारा लेते हैं।
हमने कल जो भी किया था वह भौकाल में था, हम जो आज कर रहे हैं वह भी भौकाल में है और जो कार्य हम कल करेंगे वह भी भौकाल में ही होगा। हम हैं ही ऐसे अखंड भौकाली। हमें क्रोधित कर दो फिर तुम्हे हम बताएं की क्या होता है प्रचंड भौकाली।

हमसे यह प्रश्न कई बार हमारे कई सीधे सरल मित्रों ने किया, की आखिर यह भौकाल है क्या? भौकाल का शाब्दिक अर्थ क्या होता है। क्या करें बोहोत ही असमंजस में डालने वाला प्रश्न यह। भौकाल को समझा या परिभाषित नहीं किया जा सकता। भौकाल महसूस किया जा सकता है बस। जिस दिन आप भौकाल का मतलब समझ गए समझ लीजिये आप भी भौकाली हो गये।

क्या यह क्यों आवश्यक है पूछ रहे हो? भौकाल पे प्रश्नचिन्ह ? छुटकऊ एक पान लगाओ बे अब दिल पर लगने वाली बात पूछ ली गयी है।
भौकाल आत्म ज्ञान है- भौकाली को अपनी श्रेष्ठता का ज्ञान होता है। जिस व्यक्ति के जीवन में भौकाल न हो वह इस मानव समुद्र में गुम हो जाता है किन्तु भौकाली को लोग याद रखते हैं। यदि आपमें भौकाल है तो आप स्ट्रोकलेस वंडर से सिक्सर सिद्धू बन जाते हैं.. अन्यथा आकाश चोपड़ा की तरह रिटायर हो जाते हैं।
बिटवा यह याद रक्खो भौकाल जीवन का सार है, बिन भौकाल जीवन बेकार है। अब जब बात निकल ही पड़ी है तो भौकाल का महत्व बताने वाली एक कहावत भी सुन लें, यदि आप भौकाली हैं या भाउकलियों के साथ रहे हैं तो आप अवश्य अवगत होंगे इस कहावत से:

*Word Censored * फटे तो फटे, भौकाल न घटे।

लेकिन हम बोल क्यों रहे हैं यह! यदि आप भौकाली नहीं हैं तो अभी तक आपको समझ नहीं आया होगा की हम ये भौकाल का भौकाल बना क्यों रहे हैं इतना। यदि आप भौकाली हैं तब तो आपको भौकाल के बारे में जानने के लिए मेरी आवश्यकता नहीं।

अछा रुकिए यू पी की शब्दावली से कोई और शब्द ले कर आते हैं आपको बताने के लिए।

तब तक अपना भौकाल टाइट रक्खें

फत्ते भौकाली

Sunday, September 21, 2014

आज का संगीत



आज एक महाशय ( एक मित्र के मित्र) को फेसबुक पर दुखी होते पढ़ा की हमारे देश में संगीत की कितनी दुर्दशा हो चुकी है एवं यो यो हनी सिंह और बादशाह जैसे गायकों ने भद्दे भद्दे गानो ला कर समाज प्रदूषित कर रखा है। हमें यह बात कुछ जँची नहीं तो हमने उस पोस्ट का जवाब कुछ यूँ दिया:

"यद्यपि हमारी और आपकी जान पहचान तो नहीं है, किन्तु आपके शब्दों भीतर कहीं दबा छुपा विरोधाभास देखा तो स्वयं को रोक न पाया। सोचा अपने विचार प्रकट कर ही दूँ, शायद इसी बहाने मित्रता हो जाए।

आपको एक कहानी सुनाता हूँ:

एक बालक ने अपने घर के बरामदे में खड़े हो कर राह चलते एक व्यक्ति पर एक कंकड़ फेंका। कंकड़ भले आदमी को लगा किन्तु उसे बच्चे पर क्रोध नहीं बल्कि उसकी बाल सुलभ हरकत पर हंसी आ गयी- वह बालक को देख कर हंसा और आगे चलता बना। बालक को लगा उसकी प्रशंसा हुई और वह और उत्साह इसी प्रक्रिया को दोहराने लगा। आज वो लोगो पर बड़े बड़े पथ्थर फेंकता है- जिन्हे चोट लगती है उन्हें गुस्सा आता है और तमाशबीनों को हंसी।
यदि बालक को पहली बार डांट पड़ जाती वह शायद ऐसा न करता। या अगर तमाशबीन हंसना बंद कर दें तो वह अकेला पड़ जाए और शायद इस भय से पथ्थर फेंकना बंद कर दे की कहीं नाराज़ होने वालों में से कोई व्यक्ति हमें एक कंटाप रख न दे।

मैं ये मानता हूँ की कला यानि की आर्ट अपने श्रोताओं/ दर्शकों के समाज का प्रतिबिम्ब होता है। यदि हमसे एक पीढ़ी नीचे के यह किशोरवय बालक इन गानों को सुनना बंद कर दें तो कौन हनी सिंह और कौन बादशाह। हमारा दुर्भाग्य यह नहीं है मित्र की आज हनी सिंह या बादशाह भद्दे गाने गा रहे हैं। हमारा दुर्भाग्य यह है की हमारे और हमसे एक छोटी पीढ़ी के बीच संवाद का अभाव इस अधीर स्थिति में पहुँच चुका है की जो हमें भद्दा लगता है वह उन्हें कर्णप्रिय प्रतीत होता है। यदि हम अपनी खुशफहमी से बहार निकल कर विश्लेषण करें तो हम शायद यही पाएंगे की समस्या तो हम लोगों में ही है।"


हमें यह नहीं पता उन्हें बुरा लगा या भला. उम्मीद यही करता हूँ हमारा तर्क अवश्य समझ आया होगा।