यद्यपि हिंदी व्याकरण में तीन काल होते हैं- भूत काल, वर्तमान काल एवं भविष्य काल किन्तु यू पी में एक काल और होता है- भौकाल।
तो जहाँ दुनिया का हर काम पहले तीनो कालों में होते हैं, हम अपने कार्य सम्पन्न करने के लिए भौकाल का सहारा लेते हैं।
हमने कल जो भी किया था वह भौकाल में था, हम जो आज कर रहे हैं वह भी भौकाल में है और जो कार्य हम कल करेंगे वह भी भौकाल में ही होगा। हम हैं ही ऐसे अखंड भौकाली। हमें क्रोधित कर दो फिर तुम्हे हम बताएं की क्या होता है प्रचंड भौकाली।
हमसे यह प्रश्न कई बार हमारे कई सीधे सरल मित्रों ने किया, की आखिर यह भौकाल है क्या? भौकाल का शाब्दिक अर्थ क्या होता है। क्या करें बोहोत ही असमंजस में डालने वाला प्रश्न यह। भौकाल को समझा या परिभाषित नहीं किया जा सकता। भौकाल महसूस किया जा सकता है बस। जिस दिन आप भौकाल का मतलब समझ गए समझ लीजिये आप भी भौकाली हो गये।
क्या यह क्यों आवश्यक है पूछ रहे हो? भौकाल पे प्रश्नचिन्ह ? छुटकऊ एक पान लगाओ बे अब दिल पर लगने वाली बात पूछ ली गयी है।
भौकाल आत्म ज्ञान है- भौकाली को अपनी श्रेष्ठता का ज्ञान होता है। जिस व्यक्ति के जीवन में भौकाल न हो वह इस मानव समुद्र में गुम हो जाता है किन्तु भौकाली को लोग याद रखते हैं। यदि आपमें भौकाल है तो आप स्ट्रोकलेस वंडर से सिक्सर सिद्धू बन जाते हैं.. अन्यथा आकाश चोपड़ा की तरह रिटायर हो जाते हैं।
बिटवा यह याद रक्खो भौकाल जीवन का सार है, बिन भौकाल जीवन बेकार है। अब जब बात निकल ही पड़ी है तो भौकाल का महत्व बताने वाली एक कहावत भी सुन लें, यदि आप भौकाली हैं या भाउकलियों के साथ रहे हैं तो आप अवश्य अवगत होंगे इस कहावत से:
*Word Censored * फटे तो फटे, भौकाल न घटे।
लेकिन हम बोल क्यों रहे हैं यह! यदि आप भौकाली नहीं हैं तो अभी तक आपको समझ नहीं आया होगा की हम ये भौकाल का भौकाल बना क्यों रहे हैं इतना। यदि आप भौकाली हैं तब तो आपको भौकाल के बारे में जानने के लिए मेरी आवश्यकता नहीं।
अछा रुकिए यू पी की शब्दावली से कोई और शब्द ले कर आते हैं आपको बताने के लिए।
तब तक अपना भौकाल टाइट रक्खें
फत्ते भौकाली